ग्रहों का तत्व Grahon ka Tatva
ग्रहों के तत्व विभाजन :-
नैसर्गिक रूप से शुभ अशुभ ग्रह :-
- पृथ्वी तत्व :- बुध
- जल तत्व :- शुक्र
- अग्नि तत्व :- मंगल
- आकाश तत्व :- बृहस्पति
- वायु तत्व :- शनि
इन पांच ग्रहों को पांच तत्वों में विभाजित किया गया है।
सूर्य और चंद्रमा ये ग्रह अग्नि और जल के प्रधान अधिपति है--
सूर्य :- संसार में जितने भी प्रकार की अग्नि चाहे इंधन के द्वारा अग्नि बिजली से प्राप्त अग्नि सभी अभी अग्नि के अधिपति सूर्य हैं मंगल भी अग्नि के कारक है पर इनके पास वैकल्पिक व्यवस्था है जैसे चोट लगे दुर्घटना व आगजनी हो जाए तो मंगल को देखा जाता है।
चंद्रमा :- कहते हैं कि संसार में और आपके शरीर में जितने भी जल है सब के अधिपति मात्र चंद्रमा शुक्र नहीं लेकिन जल के कारक शुक्र भी कहे गए हैं संपूर्ण जल के अधिपति नदी की बात होना ले समुंदर बरसात के पानी आंसू सब के अधिपति प्रधान रूप से चंद्रमा है तो यहां पर शुक्र को वैकल्पिक व्यवस्था में रखा गया जैसे जल को बांध बनाकर रोका गया पानी पीने के लिए पानी जलापूर्ति सिंचाई के लिए जो मानव द्वारा परिवर्तित किया जाए उसके गुणों को प्रकृति ऐसी व्यवस्थाओं के लिए शुक्र को देखा जाता है।
ग्रहों का लिंगात्मक विभाजन :-
- पुरुष ग्रह :- सूर्य मंगल बृहस्पति
- स्त्री ग्रह :- चंद्रमा शुक्र
- नपुंसक ग्रह :- बुध शनि
अन्य जगहों पर नपुंसक ग्रहों को स्त्री ग्रह कहा जाता है
नैसर्गिक रूप से शुभ अशुभ ग्रह :-
- शुभ ग्रह :- बृहस्पति, शुक्र
- अशुभ ग्रह :- सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु
बुध :- यदि बुध की युति शुभ ग्रह के साथ है तो वह शुभ कहलायेगा यदि बुध की युति अशुभ ग्रह के साथ है तो अशुभ होगा। और बुध कहीं अकेला हो तो वह शुभ ही होगा।
चंद्रमा :- अमावस्या से 6 तिथि पहले और अमावस्या के 6 तिथि बाद का चंद्रमा अशुभ होता है। अर्थात कृष्ण पक्ष के नवम तिथि तक चंद्रमा शुभ होता है और कृष्ण पक्ष दशम तिथि से अमावस्या तक चंद्रमा अशुभ होता है। शुक्ल पक्ष के षष्ठम तिथि तक चंद्रमा अशुभ होता है और सप्तम से पूर्णिमा तक शुभ होता है।
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