कालसर्प योग

नमस्कार प्रिय पाठको🙏
आज हम राहु केतु से बनने वाले कालसर्प योगों के बारे में जानेंगे।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार राहु और केतु के मध्य सारे ग्रह हो तो कालसर्प योग बनता है वहीं कुछ ज्योतिषाचार्य का मानना है के राहु और केतु के साथ या बाहर एक या दो ग्रह हो तो आंशिक कालसर्प योग बनता है जोकि कालसर्प योग के तुलना में आंशिक कालसर्प योग कम कष्ट कारक होता है।
राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह है। ज्योतिष अनुसार इनके प्रभाव काफी कम होते हैं। राहु के जन्म के नक्षत्र के देवता यम यानी काल है और केतु के जन्म नक्षत्र अश्लेषा के देवता सर्प है। राहु के गुण और अवगुण शनि की तरह ही होते हैं। यही कारण है कि राहु शनि ग्रह के जैसे ही प्रभाव डालता है।
किसी भी तरह का काल सर्प योग जो राहु से आरंभ हो रहा हो वह बहुत अधिक कष्टकारी होता है, किंतु केतु से लेकर राहु तक बनने वाला कालसर्प योग ज्यादा कष्टकारी नहीं होता यह सदैव ध्यान रखें।
ग्रहों के गोचर के समय एक ऐसी स्थिति भी बनती है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच होते हैं।
मेष राशि से लेकर मीन राशि तक राहु सभी राशियों में लगभग 18 वर्षों में अपना गोचर पूर्ण कर लेता है इस प्रकार 18 वर्षों में 12 प्रकार के 12 राशियों से अलग अलग कालसर्प बनेंगे।
जो इस प्रकार है :-
१. अनंत
२. कुलिक
३. वासुकी
४. शंखपाल
५. पद्म
६. महापद्म
७. तक्षक
८. कर्कोटक
९. शंखनाद
१०. घातक
११. विषाक्त
१२. शेषनाग

1. अनंत कालसर्प योग :- लग्न कोई भी हो परंतु लग्न में बनने वाला कालसर्प थोड़ा ज्यादा कष्ट दाई होता है, क्योंकि लग्न का राहु शनि वत है वह शनि की समान प्रभाव देने वाला होता है। यह जातक के व्यक्तित्व को अस्त व्यस्त, अस्थिर कर देता है। भ्रम में डाल देता है। फलस्वरूप लग्न में बनने वाला कालसर्प कहीं न कहीं ज्यादा परेशानी देता है।
मानसिक अशांति, अस्थिरता, षड्यंत्र में फसना कोर्ट के चक्कर, व्यवसाय में हानि, संघर्ष, दुखी वैवाहिक जीवन, अपनों से ही परेशानी एक के बाद एक अनंत मुसीबत देता है।
2. कुलिक कालसर्प योग :- पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद, खराब सेहत, धन की कमी, अधिक संघर्ष, अपयश, कटु वाणी, पारिवारिक कलह, विवाह विच्छेद आदि।
केतु अष्टम में होने के कारण आकस्मिक धन लाभ, जुआ, सट्टा, लॉटरी से जातक जीवन काल में धन आगमन करने वाला, तंत्र मंत्र से संबंधित विद्या में उसकी जागृति होने वाली होगी।
3. वासुकी कालसर्प योग :- भाई बहन को कष्ट, मित्रों से धोखा, नौकरी मेंं कठिनाई, भाग्य मेंं विघ्न। राहु पराक्रम में कारक होते हैं तो यह परिश्रम, संघर्ष और मेहनत थोड़ी ज्यादा करनी पड़ती है।
अगर जातक मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न के है तो इन लग्न की कुंडलियों का विचार थोड़ा ज्यादा कर ले क्योंकि राहु यहां कष्ट दे सकते हैं, राहु सर्वाधिक पापा ग्रह है। अगर आप वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न के है तो आपको कालसर्प से डरने की कोई आवश्यकता नहीं, इस अवस्था में कालसर्प जातक को जगह-जगह पग पग पर रास्ता बनाएगा। शुरुआती दौर में थोड़ी परेशानी कठिनाई तो होगी पर काम रुकेगा नहीं निश्चित समय पर होकर ही रहेगा।
4. शंखपाल कालसर्प योग :- वाहन से नुकसान, नौकरी में कठिनाई, व्यवसाय में उतार-चढ़ाव, राजा सेे रंक, घर मेंं कलह का वातावरण, तनाव का वातावरण, माता की सेहत को कमजोर कर सकता है यानी थोड़ी परेशानी तो होगी।
यह आपको भूमि भवन वाहन का भी सुख दे सकता है मां की सेवा करिए यदि चंद्रमा कुंडली में उच्च का बली मित्र राशि अथवा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो आप को इस कालसर्प से लाभ मिलेगा।
5. पद्म कालसर्प योग :- बुढ़ापे में संतान अलग होना, गुप्त शत्रुओं से हानि, कारावास, गुप्त रोग, पत्नी का चरित्र संदेहास्पद, मित्रों से विश्वासघात।
कुंडली के त्रिकोण में अथवा त्रित्रिकोण में बैठे पाप ग्रह शुभ फल प्रदाता बन जाते हैं अब यहां का कालसर्प संतानोत्पत्ति में विलंब कर आएगा पढ़ाई के समय में आप का मन पढ़ाई में थोड़ा कम और जुगाड़ में थोड़ा ज्यादा लगेगा यानी इनका लगभग सारा काम जुगाड़ से ही होता है।
6. महापद्म काल सर्प योग :- प्रेम में असफलता, प्रिय पात्र या पत्नी से विरह, चरित्र से शुद्ध नहीं, निराशा की भावना, शत्रुु हावी।
यहां का राहु शत्रु हंता योग बनाता है। जातक के शत्रु तो बनेंगे पर साथ ही साथ उनका हनन भी होता रहेगा। अगर यहां शनि का संबंध हो जाए तो जातक दीर्घकालीन रोग से ग्रसित होते हैं।
7. तक्षक कालसर्प योग :- वैवाहिक जीवन में हानि, पार्टनरशिप में धोखा उधार वापस ना मिलाना, पैसे डूबना, शत्रु अधिक, गुप्तत रोगों से पीड़ित।
यह विचारणीय है यह दांपत्य जीवन में थोड़ा उतार-चढ़ाव ला देता है क्योंकि लग्न में बैठे राहु आपके व्यक्तित्व को अस्थिर कर देते हैं। और सप्तम में बैठा राहु दांपत्य जीवन को कमजोर करता है, अगर शुक्र बलवान हो तो जोकि दांपत्य का कारक है या सप्तमेश बलवान हो तो दांपत्य जीवन खुशहाल बीतता है थोड़ी-बहुत नोकझोंक तो लगी रहती है।
8. कर्कोटक कालसर्प योग :- भाग्योदय में परेशानी, प्रमोशन में रुकावट, पैतृक संपत्ति में कमी, व्यापार में हानि, सर्जरी, अचानक चोट, दुर्घटना, हिंसक पशुओं से भय, नुकीले सिंग वाले पशुओं से भय, सर्प से भय।
द्वितीय भाव में केतु होने के कारण आकस्मिक धन लाभ जुआ, सट्टा, लॉटरी से धन लाभ, जातक ठगी विद्या में निपुण होता है।
9. शंखनाद कालसर्प योग :- भाग्य हानि, पिता केेे सुख में कमी, व्यापार में हानि, अधिकारियों से मनमुटाव, छोटे भाई बहन के संबंधों में खटास।
यहां पर राहु त्रि त्रिकोण में होगा। त्रि त्रिकोण में पापा ग्रह शुभ फल दाता बन जाता है, यह भाग्य का सहयोग करने वाला हो जाएगा, अगर आपका लग्न बलवान हुआ तो आपका भाग्य और भी मजबूत हो जाएगा।
10. घातक कालसर्प योग :- नौकरी मेंं कठिनाई, स्थान परिवर्तन, अधिकारियों से मनमुटाव, पिता के संबंधों में कमी।
राहु दसवें स्थान में होने के कारण जातक को राजनीति में जबरदस्त ऊंचाई दिलवा देते हैं।
11. विषाक्त कालसर्प योग :- जन्मम स्थान से दूर, बड़े भाई से विवाद, नेत्र पीड़ा, हृदय रोग, अंतिम जीवन रहस्यमय, घोर परिश्रम।
12. शेषनाग कालसर्प योग :- गुप्त शत्रु, झगड़े में हार, बदनामी, मृत्यु के बाद नाम, कोर्ट कचहरी का चक्कर।

नोट :-  केंद्र में कोई भी पापा ग्रह हो तो वह अच्छा फल देने लगता है अतः राहु भी एक पापा ग्रह है।
अब राहु केतु के बारे में चर्चा आ रही है तो हमें यह जानना होगा कि लग्न में राहु जिसकी राशि में बैठा है उस राशि का राशि पति किस अवस्था में है क्या वह पापा ग्रह है अगर वह कोई पाप ग्रह है तो राहु बली हो जाएंगे और फिर इस अवस्था में जातक के चित्त को अव्यवस्थित कर देंगे।
मान लीजिए कुंभ लग्न की कुंडली है और लग्न में ही कालसर्प योग बना है। तो लग्न के स्वामी शनि हुए अगर शनि कुंडली में कमजोर हुए तो यह कालसर्प जातक को बहुत कष्ट दे सकता है। जातक के जीवन में होने वाले विकास में बाधा डालेगा उस विकास को अव्यवस्थित कर देगा। अगर शनि बलवान हुए तो जातक तिकड़म बाज हो जाएगा जातक अपना उल्लू सीधा करने के लिए वह किसी को भी मुर्गा बना सकता है यानी अपना कार्य सिद्ध करने के लिए कुछ भी करेगा अपना काम किसी न किसी प्रकार निकाल लेगा।
ध्यानार्थ :- कालसर्प जहां थोड़ी परेशानी उत्पन्न करता है वही जीवन काल में आपको राह भी देता है।
जैसे-- पथ निर्माण के कार्य के समय कष्ट होता है पर निर्माण के बाद सुख।
वैसे भी राहु पाप ग्रह है उसका स्वभाव छद्म वेश धारी। हमेशा परिस्थितियां ऐसी लगेगी की केवल प्रतिकूल ही है जीवन में लेकिन बाद में रिजल्ट आप के पक्ष में ही आ जाता है यही है राहु।
बारहों के बारहों कालसर्प में से आपकी कुंडली मे कोई भी कालसर्प योग हो, तो डरिए मत पहले देखिए उस भाव का भाव पति कहां है, किस अवस्था में है, पाप ग्रह से युति या दृष्ट संबंध है, कहीं ऐसा तो नहीं यह पापा ग्रह बड़ा अच्छा रिजल्ट कर रहा है जातक के लिए, तो कालसर्प से तब तक मत डरिए जब तक उसके बारे में आप पूरी तरह जानकारी ना निकाल ले। और इससे पहले न शांति की आवश्यकता न किसी और चीज की आवश्यकता अगर आपको राहु परेशान कर रहे हैं तो आप घर बैठे गणेश जी और शिव जी की आराधना करिए परेशानी दूर हो जाएगी।
कालसर्प योग का निदान :-
१. अनंत कालसर्प योग :- घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। ॐ नमः शिवाय का पाठ करें।
२. कुलिक कालसर्प योग :- घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। राहु-केतु के मंत्रों का पाठ करें एवं उससे संबंधित वस्तुओ का दान करें।
३. वासुकी कालसर्प योग :- प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेंं। पक्षियों को दाना पानी दे तथा पितरों का प्रतिवर्ष श्राद्ध करें। घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें।
४.शंखपाल कालसर्प योग :- घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। नित्य रुद्राष्टक का करेंं।
५. पद्म कालसर्प योग :- कालसर्प योग शांति अनुष्ठान कराएं। श्री कृष्णा की पूजा करें तथा घर में मोर का पंख लगाएं। राहु केतुु से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
६. महापद्म कालसर्प योग :- घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। 1 वर्ष तक अमावस्या को श्राद्ध करें।
७. तक्षक कालसर्प योग :- रुद्राष्टक का पाठ करेंं। बहते पानी मेंं प्रत्येक बुधवार को 100 ग्राम जौं बहाए। कृष्णा जी की आराधना करें।
८. कर्कोटक कालसर्प योग :- 14 मुखी रुद्राक्ष की माला धारण करें तथा अपनेेे बिस्तर के नीचे मोर पंख रखें। महामृत्युंजय जा जाप करें।
९. शंखनाद कालसर्प योग :- घर के मुख्यद्वार पर चांदी का स्वास्तिक लगायें। प्रत्येक शनिवार को बहते जल में थोड़ा कोयला प्रवाहित करें। शिवजी की आराधना करें।
१०. घातक कालसर्प योग :- घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें। काल भैरव की आराधना करें। सर्पों को दूध पिलाएं।
११. विषाक्त कालसर्प योग :- बुधवार के दिन लोहे के सर्प को बहते पानी में बहाएं। नित्य अष्टगंध का तिलक लगाएं एवं महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
१२. शेषनाग कालसर्प योग :- नाग पंचमी का व्रत रखें एवं शिव जी का रुद्राभिषेक कराए। घर में सिद्ध कालसर्प योग शांति यंत्र स्थापित करें और उसकी नियमित पूजा करें।

Comments

Popular posts from this blog

राशियों और ग्रहों कि दिशाएं Rashi Aur Grah ki Disha

ग्रहों की अवस्था. Graho Ki Avastha

ग्रहों का तत्व Grahon ka Tatva