पारिजात योग Parijaat Yog
लग्न का स्वामी जिस राशि में हो, उस राशि का स्वामी जिस राशि में बैठा हो उसका स्वामी या उस राशि के नवमांश का स्वामी यदि केन्द्र(1, 4, 7, 10) या त्रिकोण(5, 9) में से किसी भी भाव में बैठा हो अथवा अपनी उच्च राशि में स्थित हो तो पारिजात योग होता है|
पारिजात योग में जन्मे जातक का स्वभाव ---
पारिजात योग में उतपन्न जातक आयु के मध्य भाग में और अन्त्यभाग में अधिक सुखी होता है|
पारिजात योग में जन्मे जातक युद्ध के प्रेमी होते है|
पारिजात योग में जन्मे हाथी-घोडा रखने के प्रेमी होते है|
पारिजात योग में जन्मे जातक अधिकारियो में आदर पाने वाले होते है|
पारिजात योग में जन्मे जातक अपने कर्म धर्म में सदा जागरूक रहने वाले होते है|
पारिजात योग में जन्मे जातक दयालु होते है|
उदाहरणार्थ :-
उपरोक्त मेष लग्न की कुंडली है जिसमें लग्न का स्वामी ( लग्नेश ) मंगल षष्ठम भाव में बैठा है और षष्ठम भाव का स्वामी बुध पंचम भाव ( त्रिकोण ) में बैठा है और पंचम भाव का स्वामी सूर्य दशम भाव ( केंद्र ) में विराजमान है।अतः इस तरह यह पारिजात योग हुआ।
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पारिजात योग के तीन कारक ग्रह बनते है पहला लग्नेश, दूसरा जिस राशि में लग्नेश जाए उस राशि का स्वामी व तीसरा उस राशि का स्वामी जो केन्द्र या त्रिकोण में जाता है|
निम्न कारणों से पारिजात योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा—
यदि लग्नेश षष्ठ या अष्टम या व्यय भाव में हो तो भी जातक को पारिजात योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि लग्नेश जिस भाव में हो उसका स्वामी षष्ठ या अष्टम या व्यय भाव में हो तो भी जातक को पारिजात योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि लग्नेश बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को पारिजात योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि लग्नेश जिस भाव में हो उसका स्वामी बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को पारिजात योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
यदि लग्नेश जिस भाव में हो उसका स्वामी जिस राशि में पडा हो, उसका स्वामी बालावस्था, वृद्ध अवस्था या मृत अवस्था में हो तो भी जातक को पारिजात योग कभी अपना पूर्ण फल नही देगा|
सूत्र :-
ज्योतिष शास्त्र एक अद्भुत ज्ञान है
लग्नेश जिस राशि में बैठा हो और उस राशि का स्वामी (भावपती )अपनी ही राशि में लग्नेश के साथ बैठ जाए और साथ ही साथ राशिश ( जिस राशि में चंद्रमा हो उस राशि का स्वामी ) एक साथ बैठ जाए तो भी पारिजात योग होगा।
आप उपरोक्त कुंडली में देख सकते हैं
यह सिंह लग्न कि कुंडली है जिसका स्वामी (लग्नेश) सूर्य नवम भाव में बैठा है। और चंद्रमा कुंभ राशि में विराजमान है जिसका भावपति शनि भी नवम भाव में लग्नेश के साथ संबंध बनाए हुए बैठा है।
लग्नेश और राशिश दोनों एक साथ नवम भाव में बैठे है और साथ ही साथ नवम भाव का स्वामी मंगल भी अपनी स्वराशि में लग्नेश और राशिश के साथ युति बनाए बैठा है तो यहां पारिजात योग सिद्ध होता है।