राशि और ग्रह (त्रिदोष) Rashi Aur Grah (Tridosh)
🙏नमस्कार प्रिय पाठकों
त्रिदोष और राशि संबंध:-
आज हम त्रिदोष के बारे में जानेंगे अर्थात किस राशि का सम्बन्ध किस दोष से है।
मुख्यतः तीन शारीरिक दोष होते है:-
१.पित्त
२.वात/वायु
३.कफ
ये तीन शारीरिक दोष होते है
आयुर्वेद के अनुसार शरीर मे वात अर्थात हवा, पित्त अर्थात भोजन को पचाने के रस और कफ अर्थात बलगम का दोष होता है।
आयुर्वेदानुसार सिर से लेकर के छाती के बीच तक के रोग कफ के बिगड़ने से होते है।
छाती के बीच से लेकर पेट या कमर के अंत तक मे होने वाले रोग पित्त के बिगड़ने के कारण होते है।
और कमर से लेकर घुटनें और पैरों के अंत तक होने वाले रोग वात बिगड़ने के कारण होते है।
राशियों में दोषों का विभाजन :-
ज्योतिष शास्त्र में राशियों द्वारा तीन दोषों का विभाजन किया गया है।
ताकि राशियों द्वारा हम जातक में होने वाले दोष की जानकारी पा सके।
ज्योतिष शास्त्र में दोषों को राशि तत्वों में विभाजित किया है अर्थात अग्नि तत्व राशि, पृथ्वी तत्व राशि, वायु तत्व राशि, जल तत्व राशि इन्ही चार तत्वों में दोष को विभाजित किया गया हैै।
१. पित्त दोष :- मेष, सिंह और धनु इन राशियों से पित्त दोष का विचार किया जाता है। यह सभी राशियां अग्नि तत्व की राशि है।
२. वात/वायु दोष :- वृषभ, कन्या और मकर इन सभी राशियों से वात/वायु दोस्त का विचार किया जाता है। यह सभी राशियां पृथ्वी तत्व की राशियां है।
३. त्रिदोष :- मिथुन, तुला और कुंभ इन राशियों में तीनों ही दोषों का विचार किया जााता है। इन राशियों के जातक में तीनोंं ही दोष पाए जाते हैं।
इन राशियों के जातक में दोषों का विचार करना कठिन कार्य है। यह सभी राशियां वायु तत्व की राशियां है।
४. कफ दोष :- कर्क, वृश्चिक और मीन इन राशियों से कफ दोष का विचार किया जाता है। यह सभी राशियां जल तत्व की राशि है।
ज्योतिष शास्त्र में राशि और ग्रहों दोनों को त्रिदोष में विभाजित किया है
पर राशि के त्रिदोष और ग्रहों के त्रिदोष दोनों का अलग अलग फलकथन या विचार किया जाता है।
ग्रहों में दोषों का विभाजन :-
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों द्वारा त्रिदोष ( रोगों ) का विचार किया जाता है। ग्रहों को भी पित्त, वात और कफ में विभाजित किया है।
जो इस प्रकार है :-
पित्त दोष :- सूर्य और मंगल
सूर्य अग्नि के अधिपति है। और मंगल अग्नि केे कारक ग्रह है दोनों ग्रह पित्त दोष के कारक हैं।
वात/वायु दोष :- शुक्र और शनि
शुक्र जल के कारक है और शनि वायु के अधिपति है। अतः ये दोनो ग्रह वात के कारक हैं।
कफ दोष :- शुक्र, चंद्रमा और बृहस्पति
शुक्र जल के कारक है और चंद्रमा जल के अधिपति है। बृहस्पति आकाश तत्व के अधिपति है। ये तीनों ही ग्रह कफ दोष के कारक है।
त्रिदोष :- बुध
बुध पृथ्वी तत्व के अधिपति है। अतः ज्योतिष शास्त्र में बुध को त्रिदोष (तीनों ही दोष) का कारक बताया है।
उदाहरणार्थ :-
यदि कुंडली में सूर्य मंगल का प्रभाव लग्न या लग्नेश के उपर हो या ये ग्रह लग्न में स्थित हों। या लग्न मेष, सिंह और धनु राशि का हो या इन्हीं लग्नों के स्वामियों की युति या सम्बन्ध सूर्य से हो तो जातक के अंदर पित्त प्रकृति का रोग संभव है। ऐसे जातक के अंदर पित्त दोष होगा और पित्त दोष से प्रभावित होकर वह बीमार होगा।
राहु और केतु को दोष विभाजन में नहीं रखा गया है।
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