राशि स्वभाव Rashi swabhav
प्रिय पाठकों मेरा नमस्कार🙏
आज हम राशियों के स्वभाव बारे में जानेंगे :-
शास्त्र में १२ राशियों का एक चक्र है जो क्रमशः इस प्रकार है:-- मेष
- वृषभ
- मिथुन
- कर्क
- सिंह
- कन्या
- तुला
- वृश्चिक
- धनु
- मकर
- कुंभ
- मीन
राशियों को दो भागों में विभाजित किया गया है प्रथम विषम राशि द्वितीय सम राशि।
विषम राशि मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ। सम राशि वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन।
प्रायः विषम राशि को क्रूर राशि और पुरुष राशि के नाम से भी जाना जाता है
और सम राशि को सौम्य राशि और स्त्री राशि के नाम से भी जाना जाता है
जिस राशि में जातक का जन्म होता है, तदनुसार, उसका स्वाभाव होता है:-
तथापि, सभी क्रूर या पुरूष राशियों में, मेष, सिंह, कुम्भ अधिक क्रूर तथा मिथुन, तुला, धनु कम क्रूर होती है।
सौम्य राशि या स्त्री राशि में वृष, मीन सर्वथा सौम्य तथा कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर मध्यम सौम्य होती हैं।
फल कथन में राशिश के निर्बल रहने पर राशिबल ही देखा जाता है।
राशि स्वभाव:-
राशियों को तीन स्वभाव में विभाजित किया है:-
1. चर स्वभाव:- मेष, कर्क, तुला व मकर राशियाँ इस श्रेणी में आती है।
2. स्थिर /अचर स्वभाव:- वृष, सिंह, वृश्चिक व कुंभ राशियाँ इस श्रेणी में आती हैं।
3. द्विस्वभाव स्वभाव:- मिथुन, कन्या, धनु व मीन राशियाँ इस श्रेणी में आती है
चर राशि के जातकों का स्वभाव हर जल्दी बाजी होता है। यह कोई भी नया काम करने के लिए उतावले रहते हैं जोश जुनून इन राशियों में अत्याधिक होता है इन्हें बदलाव पसंद है एक जगह पर न टिके रहना उनकी आदत होती है इन्हें उतार-चढ़ाव पसंद है। चर मतलब चलायमान तो इस राशि के जातक कभी टिककर नहीं बैठ सकते हैं. हर समय कुछ ना कुछ करते रहना इनकी फितरत में देखा गया है. व्यक्ति में आलस नहीं होता है, क्रियाशील रहता है। गतिशील व क्रियाशील इनका मुख्य गुण होता है। ये परिवर्तन पसंद करते हैं और एक स्थान पर टिककर नहीं रह पाते हैं। ये तपाक से निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं।
स्थिर/अचर राशियों के जातक का स्वभाव और विचार स्थिर होता है ये जिस भी कम को करने का ठान लेते है उसे कर के हि मानते हैं। इन्हें उतार चढ़ाव पसंद नहीं किसी एक चीज पर टिके रहना एक विचार पर टिके रहना एक ही लक्ष्य पर बने रहना इनका स्वभाव है यह अपनी विचारों पर टिके रहते हैं। इन्हें बदलाव पसंद नहीं। इनमें आलस का भाव देखा गया है इसलिए अपने स्थान से ये आसानी से हटते नहीं हैं। इन्हें बार-बार परिवर्तन पसंद नहीं होता है. धैर्यवान होते हैं और यथास्थिति में ही रहना चाहते हैं इनमें जिद्दीपन भी देखा गया है. कोई भी काम जल्दबाजी में नहीं करते और बहुत ही विचारने के बाद महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।
द्विस्वभाव राशि वाले जातकों में चर और अचर/स्थिर दोनों ही राशियों के जातकों जैसे गुण पाए जाते है। इन्हे एक तरह से मनमौजी कहा जा सकता है यह अपने मन के हिसाब से ही काम करते हैं इन्हें जो अच्छा लगा तो उसे करेंगे इन्हें जो ना पसंद आया वह नहीं करेंगे। इनमें अस्थिरता रहती है और शीघ्र निर्णय लेने का अभाव रहता है इनमें अकसर नकारात्मकता अधिक देखी जाती है।
ज्ञानार्थ
चर, स्थिर/अचर और द्विस्वभाव के प्रत्येक स्वभाव के अंतर्गत विषम और सम ( क्रूर/पुरुष राशि तथा सौम्य/स्त्री राशि ) राशिया है।
उदाहरणार्थ:-
चर स्वभाव में मेष, कर्क, तुला और मकर राशि आती है जिसमें मेष राशि विषम/क्रूर/पुरुष राशि है, कर्क राशि सम/सौम्य/स्त्री राशि है, तुला राशि विषम/क्रूर/पुरुष राशि है, मकर राशि सम/सौम्य/स्त्री राशि है
अर्थात चर स्वभाव में सम - विषम दोनों राशियों के जातक होते है इसी प्रकार सभी स्वभाव में सम - विषम राशिया होती है।
Comments
Post a Comment